Wednesday, November 30, 2016

लखनऊ : यूपी में किसानों की दुर्दशा बढ़ती ही जा रही है : कांग्रेस

navjot kaur sidhu
ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो 
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में किसानों की दुर्दशा लगातार बढ़ती चली जा रही है, परन्तु इस ओर न तो केन्द्र सरकार ही अपना ध्यान दे रही है और न ही राज्य सरकार। यहाॅं यह भी उल्लेखनीय है कि किसानों की समस्या नोटबन्दी के कारण मीडिया अन्य प्रभावों पर तो लेख भी लिख रहा है एवं उस पर वार्ता भी हो रही है, परन्तु किसानों की समस्या पर पूरी कवरेज नहीं मिल पा रही है। पिछली तीन फसलें मौसम की मार की वजह से बर्बाद हो गयी और खरीफ की फसल नोटबन्दी के कारण खेतों में पड़ी है। रवी की फसल अभी तक नहीं बोयी गई है।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार की किसानों के प्रति उदासीनता की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहती है कि किसानों के धान एवं अन्य फसलों के खरीदार नोटबन्दी के कारण कोई भी नहीं है। यहाॅं यह भी उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार ने धान के लिए 1450/- रूपये का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित तो किया है परन्तु नकदी न होने के कारण इसे कोई भी नहीं खरीद रहा है। निजी आढ़तिये भी अर्थव्यवस्था में नकदी न होने के कारण किसानों से धान नहीं खरीद रहे हैं। किसान अपनी फसल को औने-पौने में बेचने को मजबूर हैं। यहाॅं तक कि वे 600-700 रूपये प्रति कुन्तल उधार पर बेचने को मजबूर हैं। नकदी के अभाव में सब्जियां एवं फल भी सड़ रहे हैं और ये बाजार तक नहीं पहुॅंच पा रहे हैं।
उ.प्र. कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता डाॅं. हिलाल अहमद ने कहा कि नोटबन्दी ने देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहे जाने वाले कृषि क्षेत्र की ही कमर तोड़ दी है। नोटबन्दी का प्रभाव न केवल रवी की फसलों पर ही पड़ रहा है बल्कि खरीफ की फसलों की बुआई का काम भी नकद रूपया उपलब्ध न होने के कारण बन्द पड़ा है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार से यह मांग करती है कि वे तुरन्त किसानों के लिए उचित कदम उठायें अन्यथा देश दाने-दाने के लिए विदेशी आपूर्ति पर आश्रित हो जायेगा और भारत का किसान एक बार पुनः घनघोर गरीबी की चपेट में आ जायेगा।
उ.प्र. कांग्रेस केन्द्र एवं राज्य सरकारों से यह मांग करती है कि केवल कागजी घोड़े दौड़ाने एवं झूठे आश्वासनों किसानों का भला नहीं होगा। यद्यपि केन्द्र सरकार ने बीज खरीदने के लिए पुराने 500 के नोटों की अनुमति प्रदान कर दी है परन्तु बीज भंडारों में अभी तक इस व्यवस्था के अन्तर्गत कोई भी कार्यवाही नहीं हुई है। केन्द्रीय भंडारों पर न तो बीज उपलब्ध है और न ही खाद उपलब्ध है।

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