टीम ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो
राज्य सरकार उन 20 लाख किसानों का कर्ज भी लौटाएगी, जिसे बैंकों ने एनपीए यानी डूबा हुआ मान लिया है। इन मामलों में बैंकों से पैकेज देने की बात चल रही है, ताकि भविष्य में ये किसान दुबारा कर्ज लेने लायक बन सकें। वहीं, डूबी हुई रकम वापस मिलने से बैंकों की स्थिति भी सुधरेगी।
राज्य सरकार ने उन किसानों का एक लाख रुपये तक का फसली ऋण माफ करने का फैसला किया है, जिन्होंने 31 मार्च 2016 या उससे पहले बैंकों से लोन लिया है।
शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक, सरकार को करीब 86 लाख किसानों का 36 हजार करोड़ रुपये माफ करना पड़ेगा। यह रकम सरकार बैंकों को देगी और वहां से किसानों को कर्जमाफी का प्रमाणपत्र जारी होगा।
योजना के दायरे में आने वाले किसानों की गाटा मैपिंग, आधार नंबर और बैंक खातों का ब्योरा पोर्टल पर अपलोड करने का काम जुलाई में किया गया। इस दौरान पता चला कि 31 मार्च 2016 तक कर्ज लेने वाले 66.40 लाख किसानों के खाते ही चालू हालत में हैं। बाकी किसानों ने चार साल या उससे पहले फसली ऋण लिया था।वे बार-बार रिमाइंडर और आरसी जारी करने के बावजूद कर्ज नहीं चुका पाए, इसलिए बैंकों ने इस रकम को डूबा हुआ (एनपीए) घोषित कर दिया। यहां बता दें कि जिस व्यक्ति का खाता एनपीए घोषित कर दिया जाता है, बैंक उसे भविष्य में लोन देने पर विचार नहीं करते।शासन के अधिकारियों ने यह स्थिति सीएम योगी आदित्यनाथ के सामने रखी तो उन्होंने कर्जमाफी योजना में इन किसानों को भी शामिल करने के निर्देश दिए।यहां समस्या आई कि सरकार सिर्फ एक लाख रुपये की ही राहत देगी, उससे ज्यादा रकम एनपीए होने पर क्या होगा।इसके लिए बैंकों से पैकेज देने की बात की गई, जिस पर करीब-करीब सहमति बन चुकी है। यानी, डूबी हुई रकम में से एक लाख रुपये सरकार देगी, शेष रकम बैंक माफ करके उन किसानों का खाता चालू हालत में ले आएंगे।जिन 66.40 लाख किसानों के खाते चालू हालत में हैं, उनमें से 29.20 लाख किसानों के आधार नंबर फीड हो चुके हैं। इन 29.20 लाख किसानों के कर्ज 31 अगस्त तक माफ कर दिए जाएंगे।बैंकों को उन्हें हर हाल में अगस्त में ही कर्जमाफी प्रमाणपत्र जारी करने के निर्देश दे दिए गए हैं। बाकी 37.20 लाख किसानों के आधार नंबर फीड कराकर उन्हें सितंबर में चलने वाले दूसरे चरण में प्रमाणपत्र दिए जाएंगे। सबसे आखिर में एनपीए घोषित हो चुके किसानों का नंबर आएगा।यहां बता दें कि अगर किसी किसान ने 31 मार्च 2016 तक लिए गए कर्ज का कुछ हिस्सा चालू वित्त वर्ष में जमा कर दिया है तो सरकार इस जमा किए गए हिस्से को नहीं लौटाएगी। भले ही यह राशि एक लाख रुपये की सीमा के अंदर हो।
शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक, सरकार को करीब 86 लाख किसानों का 36 हजार करोड़ रुपये माफ करना पड़ेगा। यह रकम सरकार बैंकों को देगी और वहां से किसानों को कर्जमाफी का प्रमाणपत्र जारी होगा।
योजना के दायरे में आने वाले किसानों की गाटा मैपिंग, आधार नंबर और बैंक खातों का ब्योरा पोर्टल पर अपलोड करने का काम जुलाई में किया गया। इस दौरान पता चला कि 31 मार्च 2016 तक कर्ज लेने वाले 66.40 लाख किसानों के खाते ही चालू हालत में हैं। बाकी किसानों ने चार साल या उससे पहले फसली ऋण लिया था।वे बार-बार रिमाइंडर और आरसी जारी करने के बावजूद कर्ज नहीं चुका पाए, इसलिए बैंकों ने इस रकम को डूबा हुआ (एनपीए) घोषित कर दिया। यहां बता दें कि जिस व्यक्ति का खाता एनपीए घोषित कर दिया जाता है, बैंक उसे भविष्य में लोन देने पर विचार नहीं करते।शासन के अधिकारियों ने यह स्थिति सीएम योगी आदित्यनाथ के सामने रखी तो उन्होंने कर्जमाफी योजना में इन किसानों को भी शामिल करने के निर्देश दिए।यहां समस्या आई कि सरकार सिर्फ एक लाख रुपये की ही राहत देगी, उससे ज्यादा रकम एनपीए होने पर क्या होगा।इसके लिए बैंकों से पैकेज देने की बात की गई, जिस पर करीब-करीब सहमति बन चुकी है। यानी, डूबी हुई रकम में से एक लाख रुपये सरकार देगी, शेष रकम बैंक माफ करके उन किसानों का खाता चालू हालत में ले आएंगे।जिन 66.40 लाख किसानों के खाते चालू हालत में हैं, उनमें से 29.20 लाख किसानों के आधार नंबर फीड हो चुके हैं। इन 29.20 लाख किसानों के कर्ज 31 अगस्त तक माफ कर दिए जाएंगे।बैंकों को उन्हें हर हाल में अगस्त में ही कर्जमाफी प्रमाणपत्र जारी करने के निर्देश दे दिए गए हैं। बाकी 37.20 लाख किसानों के आधार नंबर फीड कराकर उन्हें सितंबर में चलने वाले दूसरे चरण में प्रमाणपत्र दिए जाएंगे। सबसे आखिर में एनपीए घोषित हो चुके किसानों का नंबर आएगा।यहां बता दें कि अगर किसी किसान ने 31 मार्च 2016 तक लिए गए कर्ज का कुछ हिस्सा चालू वित्त वर्ष में जमा कर दिया है तो सरकार इस जमा किए गए हिस्से को नहीं लौटाएगी। भले ही यह राशि एक लाख रुपये की सीमा के अंदर हो।
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