Tuesday, March 14, 2017

गायत्री प्रजापति का सफर: पहली बार मिले थे सिर्फ 1500 वोट, 2 साल में कमाए एक हजार करोड़


 ब्रेक न्‍यूज ब्‍यूरो
लखनऊ. यूपी सरकार के सबसे विवादस्पद मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति रहे। अखिलेश सरकार की छवि को जनता के सामने खराब करने का श्रेय भी गायत्री को ही जाता है। गायत्री मुलायम के तो काफी करीबी हैं, लेकिन अखिलेश से उनका हमेशा छत्‍तीस का आंकड़ा रहा। गायत्री के खिलाफ गैंगरेप, अवैध खनन और काली कमाई इकट्ठा करने का आरोप लग चुका है। फिलहाल, गायत्री अब पुलिस की गिरफ्त में हैं। ऐसे में tahlkanews.com अपने पाठकों को गायत्री प्रजापति के फर्श से अर्श तक का सफर और काले कारनामों का सच बताने जा रहा है...  

फर्श से अर्श तक
जब गायत्री प्रसाद प्रजापति पहली बार चुनाव लड़े थे तो उनको महज 1500 वोट मिले थे। उस दौर में उनके पास बीपीएल कार्ड था। 2012 में पहली बार गायत्री प्रसाद प्रजापति सपा के टिकट पर अमेठी से कांग्रेस की अमिता सिंह को हराकर जीते। उसके बाद उनका सितारा बुलंद होता चला गया। कांग्रेस के गढ़ में जीतने की वजह से वह सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की नजर में आए। उनको फरवरी 2013 में सिंचाई राज्‍य मंत्री बनाया गया और उसी जुलाई में खनन विभाग का स्‍वतंत्र प्रभार दे दिया गया। उसके चंद महीनों के बाद जनवरी, 2014 में वह कैबिनेट मंत्री बन गए। फरवरी में उनके खिलाफ आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति एकत्र करने और राज्‍य में अवैध खनन को प्रश्रय देने के आरोप लगे। सितंबर, 2016 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सीबीआई से अवैध खनन मामले में रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया। नतीजतन कुछ समय बाद उनको अखिलेश ने कैबिनेट से हटा दिया। हालांकि उसके बाद मुलायम के हस्‍तक्षेप के चलते उनकी वापसी हुई।

2014-15 के बीच बनाई 13 कंपनियां
भारत सरकार की कॉर्पोरेट मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के परिजनों और उनके करीबियों के ऑनरशिप वाली 13 कंपनी हैं। इनमें हर कम्पनी में गायत्री प्रसाद के दोनों बेटे, भाई, और भतीजा, सभी कंपनियों में डायरेक्टर हैं। इसमें गोल्ड क्रस्ट माइनिंग प्रा.लि. अगस्त 2014, एलिसियम माइनिंग एंड मिनरल्स इंडिया प्रा.लि. सितंबर 2014, टी एंड पी माइन्स इंडिया प्रा.लि. जुलाई 2014, इन्फोइट सोफटेकॉन प्रा.लि. जुलाई 2015, यूनिटॉन सोफटेक प्रा.लि. जुलाई 2015, फेयरटेक लैब्स प्रा.लि. जनवरी 2015 में रजिस्टर्ड है। इसी तरह 7 और कंपनियों में गायत्री प्रसाद प्रजापति के ड्राइवर और करीबी लोगों के नाम हैं। अवैध खनन की काली कमाई को सफेद करने के लिए बनाई गई इन कंपनियों में गायत्री प्रसाद के रिश्तेदारों के अलावा घर का ड्राइवर भी कंपनी में शामिल है। गायत्री प्रसाद प्रजापति की कंपनी में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी उसके बेटे अनुराग प्रजापति की है। अनुराग प्रजापति पर पिछले साल अमेठी की एक नाबालिग लड़की से रेप का आरोप भी लगा था। इनके नाम से हैं संपत्तियां
आईपीएस अमिताभ ठाकुर की पत्‍नी और सोशल एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर के मुताबिक, 16 लोगों के नाम पर गायत्री की बेनामी संपत्तियां हैं। इसमें गायत्री के परिवार के अनिल प्रजापति (पुत्र), अनुराग प्रजापति (पुत्र), सुधा (पुत्री), अंकिता (पुत्री), महाराजी (पत्नी), रामशंकर (भाई), जगदीश प्रसाद (भाई) शामिल हैं। जबकि करीबियों में गुड्डा देवी (महिला सहयोगी), राम सहाय (ड्राइवर), रामराज (सहयोगी), पूनम (गुड्डा की बहन), सुरेन्द्र कुमार, प्रमोद कुमार सिंह, सरोज कुमार, जन्मेजय और देवतादीन शामिल हैं।

2 साल में 1 हजार करोड़ के मालिक बने गायत्री प्रसाद
अभी एक साल पहले नूतन ठाकुर की शिकायत के मुताबिक, गायत्री प्रसाद प्रजापति की संपत्ति 942.5 करोड़ रुपए हो गई है। सूत्रों के मुताबिक, गायत्री प्रसाद और उनके रिश्तेदारों के नाम वाली 13 कंपनियों का सालाना टर्नओवर 10 करोड़ से 100 करोड़ रुपए का है। इसमें भी गोल्ड क्रस्ट माइनिंग लिमिटेड और एमजी कालोनाइजर्स प्रा. लि. प्रमुख हैं। शिकायत के मुताबिक, गायत्री ने अपने ड्राइवर रामराज और एक अन्य करीबी महिला के नाम पर 50 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति हैं।

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