Wednesday, August 9, 2017

बलिया: रागिनी की हत्या के बाद कहीं डर तो कहीं आक्रोश, 'बेटी पढ़ाओ, बेटी बढ़ाओ' नारे पर उठे सवाल


ब्रेक न्यूज ब्यूरो 
बलिया. जिले के बांसडीह रोड में हुई रागिनी नाम की छात्रा के बाद इलाके में मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिली है. जहां स्कूल जाने वाली छात्राओं के मन में डर बैठ गया है तो कहीं लोगों के अंदर कानून व्यवस्था को लेकर आक्रोश भरा हुआ है. सभी बीजेपी सरकार 'बेटी पढ़ाओ, बेटी बढ़ाओ' के नारे पर सवाल उठा रहे हैं. रागिनी पर हुए कातिलाना हमले के बाद से की उसकी छोटी बहन सिया सदमे में है. इस घटना ने इलाके के लोगों को झकझोर दिया है. स्कूल जाने वाली छात्राएं अब स्कूल जाने से डर रही हैं. वे स्कूल जाने में असुरक्षित महसूस कर रही हैं. इससे इलाके की छात्राओं की पढाई पर असर पड़ने की आशंका है. उधर रागिनी के स्कूल में उसकी हत्या के बाद शोक्ष्भा कर स्कूल बंद कर दिया गया है. सवाल ये उठ रहा है कि छात्राओं के मन में बैठे डर को कैसे निकला जाए ताकि उनकी आगे की पढ़ाई पर असर न पड़े. उधर रागिनी की छोटी बहन अपने आँखों के सामने बड़ी बहन को बेरहमी से क़त्ल होते देख सदमे में है. जैसे ही उसे बहन के कत्ल किए जाने का मंजर याद आता है वह सिहर उठती है. सिया रह-रह कर तनाव में आ जाती है और रोने लगती है. विडम्बना ये है कि प्रशासन की तरफ से उसके मन में बैठे डर और उसे इस ट्रॉमा से निकालने के प्रयास भी नहीं किए गए हैं. बलिया की छात्राओं और महिलाओं में इस हत्याकांड को लेकर काफी आक्रोश है. इस मसले पर वे खुलकर बोल रही हैं. बैचलर की स्टूडेंट श्वेता सिंह ने इस मामले पर मांग की है कि रागिनी के हत्यारों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए. उन्होंने स्कूल-कालेज और कोचिंग सेंटरों के आसपास पुलिस की सक्रियता बढ़ाने की भी मांग की है. उन्होंने हत्या के बाद उठे बने दहशत के माहौल का जिक्र करते हुए कहा कि इस घटना ने हम सभी के अंदर दहशत पैदा कर दिया है. आखिर महिलाएं और बेटियां कब तब अपने को असुरिक्षत महसूस करती रहेंगी? स्कूलों-कालेजों के आसपास सादी वर्दी में पुलिस तैनात होनी चाहिए. वहीँ मनीषा कहती है कि उत्तर प्रदेश सरकार बड़े-बड़े दावे तो करती तो है लेकिन धरातल पर कुछ भी नजर नजर नहीं आता. बीएड की स्टूडेंट रिंकू यादव एंटी रोमियो स्क्वायड पर ही सवाल उठती हैं, उनका कहना है कि एंटी रोमियो स्क्वायड का गठन हुआ तो लगा कि महिलाओं की सु
रक्षा के प्रति शासन-प्रशासन गंभीर है लेकिन समय बीतने के साथ वह दस्ता भी पूरी तरह निष्क्रिय हो गया है. उन्होंने मांह की कि ऐसे दस्तों को कागज में बनाने की बजाय उसे सक्रिय करना होगा. उन्होंने कहा कि महिलाओं के अंदर सुरक्षा का भाव पैदा करने के लिए पुलिस को जागरूकता अभियान भी चलाना चाहिए. 

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