Monday, August 13, 2018

सूबे के मुखिया की आधा दर्जन यात्रा फिर भी नही सुधर सकी रामनगरी की तस्वीर



टीम ब्रेक न्यूज़ वेब डेस्क 
अयोध्या : सुनने में शायद अजीब लगे लेकिन यह धरातली हकीकत है कि प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनपद में छटवीं बार आगमन पर भी रामनगरी की सूरत नहीं बदल सकी। बात चाहे शहर के विकास की हो या फिर परिवेश के विकास की लेकिन सबकुछ पहले जैसा ही है। इस हकीकत पर पर्दा डालने के लिए अगर बदलाव की कुछ कोशिश हुई भी है तो वह महज धार्मिक आयोजनों तक सीमित है। ऐसे में सूबे के मुखिया से जनता को सरकार के कार्यकाल में विकास के नाम पर क्या मिल पायेगा यह बड़ा सवाल है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का रामनगरी से प्रेम कोई छुपा नही है। बल्कि सार्वजनिक सत्य है। मुख्यमंत्री बनने से पहले भी बतौर गोरखपुर के सांसद रहते हुए वे विभिन्न मौकों पर रामनगरी के प्रति अपनी आस्था और प्रेम निवेदित करते रहे है।


रामनगरी को उस वक्त भी उनका उतना ही समय मिलता था जितना कि वे आज अपने व्यस्ततम कार्य में से देते है। जो उनकी अनुराग भावना को प्रर्दशित करता है।मुख्यमंत्री बनने के बाद से अबतक योगी आदित्यनाथ करीब 5 बार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पावन नगरी अयोध्या आ चुकें, जिनमें से कुछ बार उनका रात्रि प्रवास भी हुआ। बतौर मुख्यमंत्री उनके प्रथम आगमन पर अयोध्या वासियों को विकास की काफी अपेक्षाएं थी। और यह अपेक्षाएं तब परवान चढ़ गयी जब उनके प्रथम आगमन के बाद से सूबे की सरकार के कई नुमाइंदों ने अपनी अपनी यात्रा के दौरान विकास संबंधित तमाम घोषणाएं कर डाली इनमें से कई घोषणाओं के अमली जामा की नाम जोख भी शुरू हुई। लेकिन वजह चाहे जो भी हो यह जामा पहनाने की नौबत तक नही पहुंच सका। और हालात जस के तस है। जिसकी बानगी राम की पैड़ी कराह कराह कर बया कर रही है। जिसका अब तक शासन के करीब दर्जन भर नुमाइंदों ने नजदीक जाकर हाल पूछा लेकिन कोई उसके दर्द को दूर न कर सका। केवल यह कहते हुए कि एक बड़े धर्मनगरी के पैटर्न पर इसका विकास होगा। खाका तैयार है,काम चल रहा है।
दूसरी तरह सरकार का सबसे अहम दावा गड्ढा मुक्त सड़क यहां पूरा न हो सका। बात चाहे राष्ट्रीय राजमार्ग की हो यह फिर राजमार्ग की दोनों रास्तों पर ही हल्की बरसात से विकराल होते गड्ढे अपने गहरे जख्म पर शासन के औपचारिक मरहम की गवाही दे रहे हैं।जो कारगर साबित नही हो सका। मजबूरन बड़े राजमार्ग तो दूर गलि और कूचें भी इसकी चपेट में है। और सड़कों की पहचान गड्ढे मुक्त की बजाय गड्ढा युक्त के रूप में होने लगी है।
सरकार बनते ही जिले को सरकार का सबसे बड़ा तोहफा नगर निगम के रूप में मिला करीब 6 महीने बीत गए नगर निगम जब अपना कार्यालय नही बनवा सका तो रामनगरी वासियों को क्या देगा ये सवाल आम लोगों की जुबान पर सामान्य हो गये है। कागजी तौर पर सीवर प्लान लगभग तैयार खुदाई भी पूरी हो गयी और पाइपें भी बिछ गयी लेकिन जलभराव पहले जैसा है। जिसकी परिभाषा बिड़ला धर्मशाला, श्रृंगार हाल, सब्जी मंडी, जानकी महल और शहर के कई इलाकें चिल्ला चिल्ला के देते है। इस शहर के जलवान पुरा का सुर सबसे ऊपर है, मोहल्ले का मालिक भगवान ही है। जो न तो शासन के समझ में आ रहा न ही प्रशासन के। वस्तुतः स्थानीय जनों को हल्की बारिश में भी विकास समस्याओं से दो चार होना पड़ रहा है। स्नान घाटों पर आरती नित्य होती है। जनप्रतिनिधि सूबे के मुखिया तक अपनी आस्था का संदेश पहुंचाने के मकसद से अक्सर जुटते है। और पूरी श्रद्धा से पावन सलिला मां सरयू की आरती करते है। लेकिन ऋणमोचन घाट से संत तुलसी दास घाट तक फैली गन्दगी को दूर करने का साहस किसी भी जनप्रतिनिधि में मुखर नही हो सका। और तो और ऋणमोचन घाट पर नालों का पानी सरयू में गिरते तो कोई देखना ही नही चाहता अलबत्ता इसकी चर्चा होने पर प्रोजेक्ट बनने की सफाई दी जाती है। लगभग चार साल से अधिक केंद्र की मोदी सरकार और लगभग एक साल से अधिक सूबे की योगी सरकार का बीत जाने के बाद भी रामनगरी के लोगों को बसें पहले की तरह दौड़कर पकड़नी पड़ती है। दोनों सरकारों ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के नामों का प्रयोग राजनैतिक लाभ के लिए कई बार लिया लेकिन रामनगरी की उपेक्षा उससे भी तेजी से किया। सरकार की इतनी भी दहशत विभागीय लोगों में नही है कि जिस नगरी का विकास सूबे के मुखिया का ड्रीम प्रोजेक्ट है।उसकी मूलभूत जरुरतों को सकारात्मक रुप दिला कर मुहैया करा दी जाये। ऐसे में आम लोगों की यह धारणा सामान्य हो चुकी है कि सरकार के अबतक के कार्य पूर्व के अखिलेश सरकार द्धारा शुरु किये गये है,जिनकों योगी सरकार अपना नाम थोपने का कार्य कर रही है। अगर उन्हीं कार्य को बेहतर ढंग से पूरा करा दिया जाये तो भी रामनगरी का कुछ कल्याण हो सकता है। इस सब के बीच गोरक्षपीठाधीश्वर सूबे के मुखिया मंगलवार को रामनगरी में आ रहे है। उनकी इस यात्रा से अयोध्या को क्या मिलेगा यह देखने की बात होगी।

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