Thursday, March 22, 2018

राज्यसभा चुनाव : राजा भैया ने बिगाड़ा अमित शाह का खेल, एक रात में ही पलट गई पूरी बाजी!


टीम ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. राज्यसभा चुनाव की लड़ाई रोमांचक मोड़ पर पहुंच गई है। अखिलेश यादव की डिनर पार्टी में समर्थकों संग शामिल होकर राजा भैया ने जहां भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, वहीं सपा विधायक नितिन अग्रवाल और नौतनवां से निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी ने भाजपा के रात्रिभोज में शामिल होकर सपाइयों के चेहरे की शिकन बढ़ा दी है।
निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने राज्यसभा की लड़ाई को और दिलचस्प बना दिया है। सियासी गलियारों में चर्चा थी कि राज्यसभा चुनाव में राजा भैया भाजपा प्रत्याशी के लिये वोट करेंगे। वजह भी बताई जा रही थी कि मायावती के विरोध के चलते राजा भैया किसी भी कीमत पर बसपा प्रत्याशी भीमराव अंबेडकर का समर्थन नहीं करेंगे। लेकिन कहते हैं कि राजनीति में कोई किसी का दुश्मन नहीं होता है। उसी फार्मूले पर अमल लाते हुए राजा भैया अखिलेश यादव की डिनर पार्टी में पहुंचे।
बुधवार को राजा भैया और विनोद सरोज ने अखिलेश यादव की डिनर पार्टी में शामिल होकर भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इस एक रात में बदले सियासी समीकरण के बीच जहां बसपा प्रत्याशी भीमराव अंबेडकर के जीत की राह थोड़ी आसान हो गई है, वहीं भाजपा के नौवें प्रत्याशी अनिल अग्रवाल की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। गौरतलब है कि डिनर डिप्लोमेसी के पहले माना जा रहा था कि राजा भैया और उनके सहयोगी विधायक विनोद सरोज सहित चार निर्दलीय विधायक भाजपा को वोट करेंगे, लेकिन अखिलेश के डिनर पार्टी में पहुंचे राजा भैया ने बीजेपी के समीकरण बिगाड़ दिये हैं।
क्यों नाराज हैं राजा भैया
डिनर पार्टी के ठीक पहले तक माना जा रहा था कि राजा भैया राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी का समर्थन करेंगे, लेकिन उन्होंने अखिलेश की डिनर पार्टी में पहुंचकर भाजपा खेमे की बेचैनी और बढ़ा दी है। युपी के सियासी गलियारों में चर्चा है कि राजा भैया के कहने पर ही सपा एमएलसी यशवंत सिंह ने विधान परिषद से इस्तीफा दिया था। यशवंत सिंह की सीट से ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विधानपरिषद पहुंचे। माना जा रहा कि राज्यसभा के लिए यशवंत सिंह को भाजपा प्रत्याशी न बनाये जाने से राजा भैया नाराज हैं, इसलिये वह सीएम योगी की बजाय अखिलेश यादव की डिनर पार्टी में शामिल हुये।
बसपा प्रत्याशी की राह आसान
राज्यसभा चुनाव में सपा, बसपा, रालोद और कांग्रेस के विधायकों की संख्या मिलाकर कुल 74 होती है। राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिये 37 वोटों की दरकार है। इनमें से नितिन अग्रवाल भाजपा में चले गये हैं। ऐसे में बसपा प्रत्याशी को राज्यसभा भेजने के लिये सपा को महज एक वोट की दरकार है। जिसे राजा भैया और उनके समर्थक विधायकों ने काफी हद तक आसान कर दिया है। सपा के समर्थन से राज्यसभा की 10वीं सीट के लिए बसपा प्रत्याशी का जाना लगभग तय हो गया है, बशर्ते सपा और सहयोगी दलों के 73 विधायकों में से कोई क्रॉस वोटिंग न करे। हालांकि, अब इसकी गुंजाइश कम ही दिखती है। लेकिन राजनीति में कुछ भी होना असंभव नहीं है।
भाजपा की बढ़ीं मुश्किलें
विधानसभा में भाजपा और सहयोगी दलों के विधायकों की संख्या 324 है। आठ प्रत्याशियों को राज्यसभा में भेजने के बाद भी भाजपा के पास 28 वोट ही बचेंगे। नौवें उम्मीदवार अनिल अग्रवाल को जिताने के लिए भाजपा को नौ वोटों की दरकार है। सपा के नितिन अग्रवाल, निर्दलीय अमनमणि त्रिपाणी और विधायक विजय मिश्रा ने भाजपा प्रत्याशी को वोट देने की घोषणा की है। ऐसे में भाजपा को छह वोटों की व्यवस्था करनी होगी, जो मौजूदा हालात में आसान नहीं दिख रहा। फिर भी भाजपाइयों का दावा है कि वह अपना नौवां प्रत्य़ाशी जितवा ही लेंगे। ऐसे में भाजपा के पास एकमात्र सेंधमारी का ही विकल्प बचता है। इसे अखिलेश यादव भी जानते हैं, इसलिये लगातार अपने विधायकों के संपर्क में हैं। मीडिया में पॉजिटिव मैसेज देते हुए अखिलेश यादव एक विधायकों संग डिनर पार्टी की तस्वीरें ट्वीट की हैं।

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