Thursday, March 22, 2018

भाजपा सरकार की मुजफ्फरनगर दंगों में दर्ज केस वापसी की शुरू हुई कवायद



टीम ब्रेक न्यूज ब्यूरो 
मुजफ्फरनगर. मुजफ्फरनगर दंगों के आरोपियों के खिलाफ दर्ज 131 मामलों को वापस लेने की कवायद योगी सरकार ने शुरू कर दी है. बीजेपी नेताओं की ओर से सीएम योगी आदित्यनाथ को हिंदुओं के खिलाफ दर्ज 179 मामलों की लिस्ट सौंपे जाने के बाद यह कवायद की जा रही है. वर्ष 2013 में मुजफ्फरनगर और शामली में हुए दंगों में दर्ज इन मामलों में हत्या और हत्या की कोशिश जैसे जघन्य अपराध शामिल हैं. पश्चिम उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर और शामली में दो समुदाय के बीच टकराव हुआ था. एक युवती से छेड़छाड़ की पृष्ठभूमि पर भड़के दंगे की आग में 62 लोग मारे गए थे. वहीं दंगों की वजह से हजारों लोगों को अपने घर छोड़कर दूसरे राज्यों की ओर पलायन करने को मजबूर होना पड़ा था. दंगों को लेकर 1455 लोगों के खिलाफ 503 मामले दर्ज किए गए थे. इसमें बीजेपी के भी तमाम नेता शामिल थे. बीजेपी नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान की अगुवाई में खाप पंचायत के प्रतिनिधि फरवरी में सीएम योगी आदित्यनाथ से मिले थे. उन्होंने दंगों के दौरान दर्ज 179 मामलों की लिस्ट भी सीएम को सौंपी थी. बीजेपी नेता और खाप पंचायत के प्रतिनिधियों ने समाजवादी सरकार के दौरान दर्ज हुए इन मामलों को वापस लिए जाने की मांग भी की थी. ए​क अंग्रेजी दैनिक के साथ बातचीत में बीजेपी नेता ने इस बात को स्वीकार करते हुए कहा कि सीएम को दर्ज मामलों की जो सूची सौंपी गई थी उसमें सभी हिंदू थे. संजीव बालियान ने अंग्रेजी दैनिक को यह भी जानकारी दी कि 850 आरोपी हिंदुओं पर दर्ज 179 केस वापस लेने के लिए वे सीएम योगी आदित्यनाथ से मिले थे. ये केस मुजफ्फरनगर और शामली में दर्ज हैं. इसमें हत्या की कोशिश और आगजनी के हैं. सीएम ने इस मामले में कानून विभाग की ओर से कार्रवाई किए जाने का भी आश्वासन दिया था. यह भी बता दें कि पांच जनवरी को शासन ने विधायक उमेश मलिक के खिलाफ दर्ज नौ मुकदमे वापस लेने को लेेकर मुजफ्फरनगर प्रशासन से रिपोर्ट भी मांगी थी. उनके खिलाफ दर्ज मामलों में दो मुकदमे दंगा भड़काने के थे. सीएम को सौंपी गई सूची में उमेश मलिक का भी नाम शामिल है. मामले वापस लिए जाने की सूची सौंपे जाने के बाद योगी सरकार ने मुकदमों की वापसी की प्रक्रिया शुरू की. सूबे के कानून विभाग के विशेष सचिव राजेश सिंह की ओर से 131 मामलों के 13 प्वाइंट्स पर जानकारी भी तलब की. साथ ही इन केसों को वापस लेने के लिए डीएम से संस्तुति भी मांगी गई. डीएम ने शासन के पत्र के आधार पर इन मामलों में विस्तृत रिपोर्ट पुलिस अधिकारियों से तलब की. हालांकि प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार इस प्रक्रिया से खुद को अनजान होने की बात कह रहे हैं. उनका कहना है कि राज्य का कानून विभाग इस तरह के मामलों में कार्रवाई करता है. कानून विभाग इस पर कुछ कहने से इंकार कर रहा है. हालांकि सूत्रों का कहना है कि मामलों की वापसी की संस्तुति को लेकर प्रक्रिया जारी है. बता दें कि बीजेपी नेता और खाप पंचायतों की मांग के बाद जिन 131 मामलों को वापस लेने की कवायद की जा रही है, उसमें कई जघन्य अपराध की श्रेणी में हैं. इनमें हत्या के 13 और हत्या की कोशिश के 11 मामले हैं. इन मामलों में सात साल या इससे अधिक सजा का प्रावधान है. वहीं 16 केस धार्मिक आधार पर वैमनस्यता फैलाने के और दो मामले किसी धर्म विशेष की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला भाषण देने के हैं.

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