Sunday, July 22, 2018

घूस देने पर मिली नौकरी ना देने पर किये गए नौकरी से बाहर जाने क्या है पूरा मामला


टीम ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो 
बाराबंकी। बहुउद्देशीय सचल पशु चिकित्सा सेवा योजना के अन्तर्गत चिकित्सा केन्द्रों पर तैनात चालकों को इस बार केवल इसलिए चलता कर दिया गया क्योंकि उन्होंने इसके लिए घूस नहीं दी। इन चालकों से 30 से 50 हजार रूपये तक घूस मांगी गयी जिसे उन्होंने अपने मोबाइल में रिकार्ड भी कर लिया। वैसे तो इसकी शिकायत प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं अन्य वरिष्ठ जिला स्तरीय अधिकारियों से भी की गयी है लेकिन अभी तक इन्हें न्याय नहीं मिला है। जबकि सीधे तौर पर इस प्रकरण को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो चला है।जानकारी के मुताबिक बाराबंकी जनपद में बहुउद्देशीय सचल पशु चिकित्सा योजना के अन्तर्गत चिकित्सा केन्द्रो पर चालको की तैनाती वर्ष 2016 माह दिसम्बर मे की गयी थी।इस योजना में चालकों की भर्ती पूर्व मे एसएस इण्टरप्राइजेज कम्पनी रायबरेली के द्वारा की गयी थी। सनद हो कि इसी कम्पनी को चालको की तैनाती का ठेका मिला था।विश्वस्त् सूत्र बताते है कि यह जो नियुक्ति हुई थी उनमे चालको को यह बताया गया था कि तुम्हे संविदा पर विभागीय तौर पर भर्ती किया जा रहा है।कई चालको ने बताया कि इसके लिए उन्हें 50 से 70 हजार रूपये तक की नियुक्ति के दौरान घूस देनी पड़ी थी।इस पूरे मामले मे चालको के द्वारा पूर्व में हैदरगढ़ में तैनात डाॅ एमआई खान की विशेष भूमिका बताई गई है।चालको ने मुख्यमंत्री को दिये गये शिकायती पत्र मे साफ कहा है कि उन्होंने उस दौरान नौकरी दिलाने के नाम पर उपरोक्त वसूली की थी। खास बात यह है कि चालकों से कहा गया था कि उन्हें 12 हजार रूपये हर माह वेतन दिया जायेगा लेकिन उन्हें मिला मात्र प्रतिमाह 7600 रूपये का वेतन। दिलचस्प यह भी है कि अभी भी इन चालकों को पूर्व में की गयी सेवा का पूरा वेतन नहीं दिया गया है। जबकि दूसरी तरफ चिकित्सा सेवा योजना के अन्तर्गत एसएस इण्टरप्राइेजज कम्पनी रायबरेली का अनुबन्ध भी खत्म हो गया।चिकित्सा केन्द्रों के चालकों का कहना है कि उन्हे मार्च 2018 से 18 जून तक का वेतन भी नही मिला और अनुबन्ध भी खत्म हो गया। इस दौरान एक दूसरी गाज चालकों पर तब और गिरी जब योजना मे चालको की नियुक्ति के लिए दूसरी कम्पनी मेसर्स अपार्टमेंट सिक्योरिटी सर्विसेज को अधिकार दिया गया। इस बार कान्ट्रैक्टर विवेक गुप्ता है।शिकायतकर्ता चालको ने आरोप लगाया है कि उन्हें नौकरी पर बने रहने के लिए गुप्ता के द्वारा कई बार फोन किया गया। चालकों से कहा गया कि आप 30 से 50 हजार रूपये सुविधा शुल्क के दे जाओ अन्यथा नौकरी करना भूल जाओ। साफ है कि यह घूस न दे पाने के कारण चालकों को हटा दिया गया। यही नहीं चालकों ने बताया है कि कम्पनी के कर्ता-धर्ता ने स्पष्ट कहा कि हमारी पहुंच बहुत ऊपर तक है, शिकायत कहीं भी करो मेरा कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता। चालकों ने यह भी दावा किया है कि घूस मांगने की बातचीत उनके मोबाइल में भी रिकार्ड है। हम लोगों ने 19 माह तक योजना में काम किया ऐसे में पहली एजेन्सी ने भी हमारा शोषण किया और अब दूसरी अनुबन्धित एजेंसी ने भी हमें जीने के अधिकार से भी वंचित कर दिया।चालको ने कहा है कि इस पूरे भ्रष्टाचार की धुरी शहजहांपुर में तैनात मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डाॅ एमआई खान है।पूरे मामले की जांच करवाकर दोषियों को दण्डित किया जाये तथा हमें हमारे पद स्थान पर नियुक्त किया जाये। अब देखना ये है क्या कार्यवाही होती है नौकरी मिलेगी या नहीं 

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