Saturday, September 2, 2017

जुर्म की दुनिया सावधान ! हरकत में सीएम योगी के यमराज


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- कानून व्‍यवस्‍था पटरी पर लाने की कवायद तेज, 32 दिन में ठोंके गए अपराध के 7 आका 

- दुर्दांत अपराधियों की नकेल कसने के लिए सरकार ने पुलिस को दी खुली छूट 

टीम ब्रेक न्‍यूज ब्‍यूरो 
लखनऊ : यूपी में अपराध की इबारत लिखने वाले सावधान ! सीएम योगी के यमराज (पुलिस) हरकत में हैं। ऐसे लोगों को चुन-चुन कर मौत के घाट उतारे जाने का सिलसिला शुरू हो चुका है, जिनका गहरा नाता अपराध की दुनिया से है। महज 32 दिन के भीतर सात दुर्दांत बदमाशों का मारा जाना उक्‍त दावे की पुष्‍टि करता है। शामली से लेकर सहारनपुर, मुजफ्फरनगर के बाद आजमगढ और अब लखनऊ तक सिलसिलेवार छह इन्‍काउंटर इस बात के प्रमाण हैं कि अपराधियों के सफाए को लेकर पुलिस नए सिरे से प्रतिबद्ध है। सूबे की ध्‍वस्‍त कानून व्‍यवस्‍था को दोबारा पटरी पर लाने की कवायद में खाकी के हाथों को सरकार से वह छूट मिल गई है, जिसके लंबे इंतजार ने पुलिस की छवि धूमिल की। बता दें, सूबे में भाजपा के सत्‍तासीन होने में अपराध के बढते ग्राफ ने महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई। पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर भाजपा के अन्‍य सभी शीर्ष नेताओं ने तत्‍कालीन सपा सरकार को इस मुद्दे पर ही सवालों के कटघरे में खडा किया था। यही वजह है कि सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने गृह मंत्रालय जैसा महत्‍वपूर्ण विभाग न सिर्फ अपने पास रखा, बल्‍कि मातहतों को आदेश दिया कि हरहाल में अपराध का ग्राफ कम किया जाए। उन्‍होंने खुली सभाओं में ऐलान किया कि अपराधी या तो प्रदेश छोड दें, नहीं तो अपराध से नाता तोड लें। जो नहीं सुधरेंगे उन्‍हें ठोंक दिया जाएगा। सीएम की यह दो टूक बात भी अपराधियों को समझ में नहीं आई। पश्‍चिम से लेकर पूरब तक मर्डर, लूट, डकैती, रेप जैसी जघन्‍य घटनाएं थमने का नाम ही नहीं ले रही थीं। अपराध के बढते ग्राफ ने सरकार के माथे पर लकीरें खींच दीं। ताबडतोड वारदातों के बीच 29 जुलाई 2017 को शामली जिले से खबर आई कि दो शातिर बदमाश नौशाद और सरवर पुलिस मुठभेड में मारे गए। पुलिस के बुलेट की आवाज अर्से बाद सुनी गई। तब शायद ही किसी को अनुमान रहा हो कि लंबे समय बाद सुनी गई इन्‍काउंटर यह पहली कहानी अंतिम नहीं है। 3 अगस्त को आजमगढ़ पुलिस ने दावा किया कि वह कुख्‍यात जयहिंद यादव मार गिराया गया है, जो कानून की गिरफ्त से फरार हुआ था। इसके आठवें ही दिन 11 अगस्त को एक बार फिर शामली पुलिस के हाथों इकराम के मारे जाने की खबर सुर्खियों में रही। अभी एक सप्‍ताह भी पूरे नहीं हुए थे कि 16 अगस्त को मुजफ्फनगर पुलिस ने 15 हजार रुपये के इनामी बदमाश नीतीन बबुआ को ठोंक दिया। इसके दो दिन बाद 18 अगस्त को आजमगढ़ पुलिस पर फायर झोंक भाग रहे बदमाश सुजीत सिंह को मौत के घाट उतार दिया गया। उक्‍त कहानी उन बदमाशों की है, जो पुलिस इन्‍काउंटर में इस दुनिया से कूच कर गए। इसका सार्थक परिणाम सामने आ रहा है। इन्‍काउंटर की कैसी ऐसी घटनाएं प्रकाश में आई हैं, जिसमें शातिर और कुख्‍यात बदमाश पुलिस का सामाना होते ही घुटने टेक रहे हैं। एनकाउंटर के दौरान मौत के खौफ ने 27 अगस्त को कुख्यात उदयराज ने लखनऊ पुलिस के सामने आत्‍मसमर्पण कर दिया। वह गैंगरेप व डकैती डालने का आरोप है। 29 अगस्त को बिजनौर पुलिस ने गैंगस्टर गुलाब आलम को मुठभेड़ के दौरान धर दबोचा। 31 अगस्त को गौतमबुद्ध नगर में कुख्यात बिल्लु दुजाना ने भी आत्मसमर्पण कर दिया। उक्‍त आंकडे प्रमाण हैं कि अगस्‍त माह बदमाशों के लिहाज से बेहद खराब रहा। सिर्फ एक माह में चार दुर्दांत अपराधी मारे गए। जबकि तीन ने इन्‍काउंटर के दौरान आत्‍मसमर्पण कर दिया। अगस्‍त माह का अंत होते ही 1 सितंबर को लखनऊ पुलिस ने उस कुख्‍यात सलीम-सोहराब के शार्प शूटर सुनील शर्मा को मार गिराया जो पार्षद पप्पू पांडेय हत्‍याकांड में आरोपी हैं। बदमाशों के खिलाफ पुलिस का तल्‍ख तेवर साबित करता है कि सूबे में एक बार फिर कानून का राज स्‍थापित करने के लिये वह किसी भी हद तक जा सकती है। अब उन लोगों को हथियार डालना ही होगा, जो अभ्‍यस्‍त अपराधी हैं।


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